कोरोना संकट के बीच राज्य की ग्राम पंचायतों के स्कूलों में अध्यापन के साथ पंचायत संबंधी अन्य कार्यों में लगे करीब 24 हजार पंचायत सहायकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए इन कार्मिकों के अनुबंध की समयावधि तब ही बढ़ाई जा सकती है, जबकि पंचायतें अपनी निजी आय से इनके मानदेय की व्यवस्था करें।
ग्राम विकास अधिकारियों ने सरकार से गुहार की है कि पंचायतों में आय के स्रोत ही नहीं है। मई 2017 में 24548 पंचायत सहायकों को छह हजार मासिक मानदेय पर ग्रामीण विद्यालयों में संविदा नियुक्ति दी गई थी। तब से वित्त आयोग की ओर से देय अनुदान से इनका मानदेय दिया जाता था। शिक्षा विभाग की ओर से पंचायत राज, शिक्षा निदेशकों और जिला परिषदों को भेजे गए पत्र में कहा है कि पंचायत सहायकों की समयावधि में मार्च, 2021 तक की बढ़ोतरी इस शर्त पर की जा सकती है, जब पंचायतें अपनी निजी आय से इनके मासिक मानदेय का भुगतान करें।
राशि नहीं मिली, कैसे करें भुगतान
आदेश जारी होने के बाद ग्राम विकास संघ ने उपमुख्यमंत्री सचिव पायलट, शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा को ज्ञापन देकर मानदेय दे पाने में असमर्थता जता दी है। संघ ने कहा है कि सरकार ने पंचायतों में दी जाने वाली सेवाओं के पेटे वसूले जाने वाले शुल्क हटा लिए हैं या महज एक से दो रुपए कर दिया है। पांचवे वित्त आयोग से भी पिछले वर्ष एक भी किश्त पंचायतों को नहीं मिली। ऐसे में पंचायतों का निजी आय से भुगतान कर पाना संभव नहीं होगा।
निजी आय के स्रोत नहीं
पंचायतों में निजी आय के स्रोत नहीं हैं। जनप्रतिनिधियों के मानदेय भत्ते एवं कार्यालय का संचालन ही विभिन्न अनुदान राशियों से किया जाता है। ऐसे में पंचायत सहायकों को मानदेय भुगतान संभव नहीं होगा।
- महावीर शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, ग्राम विकास अधिकारी संघ
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