नई दिल्ली । कोरोना की दूसरी लहर की मार ग्रामीण क्षेत्रों के रोजगार पर भी पड़ी है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत एक साल के भीतर रोजगार में 48 प्रतिशत की गिरावट आई है। मई, 2020 में जहां योजना के तहत 50.83 करोड़ लोगों को काम मिला था, वहीं मई, 2021 में यह संख्या घटकर 26.38 करोड़ रह गई है।
जेएनयू के प्रोफेसर हिमांशु का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की दूसरी लहर से मनरेगा के तहत काम की मांग में करीब 26% गिरावट आई और रोजगार की संख्या भी घटी। इसके अलावा पिछले साल शहरों से बड़ी संख्या में पलायन करने वाले मजदूरों ने फिर शहरों का रुख कर लिया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इस साल काम और रोजगार की मांग भी घट गई।
रोजगार पर असर: पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में चुनावों के कारण परियोजनाओं पर रोक लगने से रोजगार की संख्या पर असर पड़ा। मनरेगा संघर्ष मोर्चा की कार्यकर्ता देवमाल्या नंदी के अनुसार, फंड और इच्छाशक्ति के अभाव से स्थिति बिगड़ रही है।
योजना को मिले सिर्फ 73 हजार करोड़ -
केंद्र ने 2021-22 के लिए मनरेगा योजना को 73 हजार करोड़ रुपए दिए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष में आवंटित राशि से 34.52 % कम है। सरकार ने 2020-21 में पहले 61,500 करोड़ दिए, लेकिन महामारी के बाद इस राशि को बढ़ाकर 1,०1,500 करोड़ रुपए कर दिया था। शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों में लौटे मजदूरों को काम दिलाने के लिए योजना में 40 हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि डाली गई।
इस बार गंभीर नहीं सरकार-
महामारी का जोखिम पिछले साल भी था और इस साल भी है। हालांकि सरकार इस बार 2020 जितनी गंभीर नहीं दिख रही। विपक्ष भी मजबूत आवाज नहीं उठा रहा।
- प्रणब सेन, सांख्यिकीविद
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