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शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हो रहे साक्षात्कार पर रोक : प्रकाश जावड़ेकर

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा कि नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था को लेकर उत्पन्न विवाद के मद्देनजर विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए लिए जा रहे साक्षात्कारों पर तत्काल रोक लगा दी गई है। जावड़ेकर ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष के सदस्यों की ओर से उठाए गए इस मुद्दे पर कहा कि साक्षात्कार पर रोक का आदेश बुधवार को ही जारी किया गया था। सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ संवैधानिक अधिकार है और यह अधिकार बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नियुक्ति को लेकर नया आदेश जारी किया था। नियुक्ति को लेकर न्यायालयों के फैसले को लेकर वह सहमत नहीं हैं और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो मामले दायर किए गए हैं जिन पर 13 अगस्त को सुनवाई होने वाली है। जावड़ेकर ने कहा कि नियुक्ति में आरक्षण के लाभ के लिए विश्वविद्यालय को इकाई बनाया जाना चाहिए विभाग को नहीं।

उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण पर आंच नहीं आने देगी और इस मामले में लोगों को न्याय मिलेगा। इससे पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) के राम गोपाल यादव ने यह मामला उठाते हुए कहा कि देश में बड़ी संख्या में दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हैं, लेकिन उच्च शिक्षा में आरक्षण का लाभ समाप्त करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि 21 जुलाई 1997 से उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण का लाभ देने की व्यवस्था शुरू हुई थी और बाद में अन्य पिछड़ा वर्ग को भी इसका लाभ दिया जाने लगा।

यादव ने कहा कि इस वर्ष मार्च में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नियुक्ति को लेकर 13 बिन्दुओं का रोस्टर निकाला था जिसमें कुछ पदों में आरक्षण की व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी। इसके कारण अनुसूचित जनजाति को आरक्षण का लाभ मिलना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि देश में कुलपतियों के कुल 496 पद हैं जिनमें अनुसूचित जाति और जनजाति के छह-छह कुलपति हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों को लगभग 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन उन्हें केवल 9.6 प्रतिशत ही इसका लाभ मिल रहा है। सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आरक्षण को लेकर व्यापक चर्चा करने की जरूरत है। आरक्षण का अधिकार संविधान से मिला है और यह व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। बहुजन समाज पार्टी के अशोक सिद्धार्थ ने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था समाप्त होने से छात्रों में रोष है।



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