गृह मंत्रालय भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के ऐसे 1,000 अधिकारियों की जांच कर रहा है जिनका सेवा में प्रदर्शन सवालों के घेरे में है। नौकरी में इनके कामकाज की समीक्षा की जा रही है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि आईपीएस अधिकारियों के प्रदर्शन और सेवा रिकार्ड की समीक्षा एक मानक और निरंतर प्रक्रिया है और इसे अतीत में भी किया गया है। उन्होंने कहा कि जांच के दायरे में और अधिकारी भी आ सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में 2,000 आईपीएस अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की गई जिसके बाद जनहित में सेवा से समयपूर्व सेवाविवृत्ति के लिए इनमें से 10 की सिफारिश की गई थी।अधिकारी ने कहा कि सेवा रिकार्ड की समीक्षा 2016 और 2018 के दौरान अखिल भारतीय सेवाओं (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16 (3) के तहत की गई।
नियम में कहा गया है कि संबंधित राज्य सरकार के परामर्श से केंद्र सरकार किसी आईपीएस या आईएएस अधिकारी को लिखित रूप में कम से कम तीन महीने के पूर्व नोटिस देकर या इस नोटिस पीरियड के बदले में तीन महीने के वेतन और भत्ते देकर सार्वजनिक हित में सेवानिवृत्त होने के लिए कह सकती है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कुल 3,972 आईपीएस अधिकारी देश भर में काम कर रहे हैं। आईपीएस के लिए कुल निर्धारित पदों की संख्या 4,940 है।
अधिकारी ने कहा कि मोदी सरकार ने आईपीएस अधिकारियों के प्रदर्शन और सेवा रिकार्ड की समीक्षा शुरू की है जिससे की ‘अवांछित’ को हटाया जा सके। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 और 2015 के दौरान अधिकारियों के सेवा रिकार्ड की कोई समीक्षा नहीं की गई थी।
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