सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में प्रमोशन (पदोन्नति) में अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) आरक्षण को शुक्रवार को हरी झंडी दे दी है। कर्नाटक के मौजूदा मामले में राज्य सरकार ने रत्नप्रभा समिति बनाकर सारा डेटा जमा किया और साबित किया कि आरक्षण जरूरत है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने वहां आरक्षण को हरी झंडी दे दी।
मामले में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एससी-एसटी आरक्षण पर भरोसा जताया। पीठ ने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण लोग जिन परिस्थितयों में जन्म लेते, उसे जिम्मेदार बनाते हुए प्रभावी और वास्तविक समानता की सच्ची कोशिश है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि होनहार अभ्यर्थी सिर्फ वह नहीं जिसमें विशेष गुण हों या जो सफल हो, बल्कि वह नियुक्ति भी है जो एससी-एसटी समुदाय के सदस्य को बेहतर मौका देते हुए विविधता और उचित प्रतिनिधित्व के संवैधानिक उद्देश्य की पूर्ति करता हो। पुराने फैसले के मुताबिक पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले सरकार को आंकड़े देकर साबित करना होगा कि वह समुदाय पिछड़ा है।
बनाया था नया कानून
सरकारी सेवकों की परिणामी वरिष्ठता का कर्नाटक विस्तार आरक्षण आधार पर पदोन्नत (राज्य की सिविल सेवा में पदों के लिए) अधिनियम, 2017 एससी/ एसटी कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए पारित किया गया था। इसे 2018 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली।
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