अच्छी नौकरी होते हुए भी आज युवा आत्महत्या कर रहे हैं। दुख की बात है कि आत्महत्या उतनी दुर्लभ नहीं है जितना कोई सोच सकता है। जागरुकता की कमी के चलते आज यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। नौकरियों में बढ़ते दबाव, सैलेरी और पदोन्नती में देरी भी सुसाइड के कारण है। सुसाइड सिर्फ निजी क्षेत्र में नौकरी करने वाले ही नहीं, बल्कि सरकारी नौकरी करने वाले लोग भी अत्यधिक दबाव के चलते अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं। अब तक, केवल कुछ देशों ने ही अपनी स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में आत्महत्या रोकथाम को शामिल किया है। महज 38 देशों ने राष्ट्रीय रोकथाम रणनीति बनाई है। सुसाइड को रोकने के लिए देशों को सामुदायिक जागरुकता को बढ़ाना होगा।
आत्महत्या के बारे में मुख्य तथ्य
-विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल दुनियाभर में करीब 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। यानि 40 सेकेंड में एक व्यक्ति सुसाइड करता है।
-विश्वस्तर पर 15-29 वर्षीय के बीच आत्महत्या मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है।
-2016 में 79 प्रतिशत आत्महत्याएं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुईं।
-आत्महत्या दुनियाभर भर में सभी मौतों का 1.4 प्रतिशत हिस्सा था, जिससे 2016 में मृत्यु का यह 18वां प्रमुख कारण था।
-सिर्फ नौकरियां ही नहीं, परीक्षा में भी फेल होने के कारण 2016 में 2 हजार 413 स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया था।
-राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2015 में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत में प्रति घंटा एक स्टूडेंट आत्महत्या करता है।
आत्महत्या के सबसे सामान्य तरीके
-अनुमान के हिसाब से वैश्विक आत्महत्या के बीस प्रतिशत मामलों में अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए लोग विषाक्त चीजों का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की अधिकांश आत्महत्याएं ग्रामीण कृषि क्षेत्र और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
-आत्महत्या के अन्य तरीकों में फांसी और फायरआम्र्स का इस्तेमाल करते हैं।
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