Govt Jobs: जब 2013 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाई थी तब देश के युवाओं को आशा थी कि जो काम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस गठबंधन वाली यूपीए सरकार नहीं कर पाई, वो अब होंगे। युवाओं को सबसे बड़ी आशा अपने भविष्य को लेकर थी कि मोदी सरकार उनके लिए नौकरियां लेकर आई हैं। मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कैम्पेन और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने युवाओं की इन आशाओं को कुछ हद तक पूरा भी किया परन्तु फिर भी कई जगहों पर युवाओं की आशा पूरी नहीं हो पाई। आइए जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार तथा मनमोहन सिंह सरकार में युवाओं के लिए जॉब्स की स्थिति क्या रही?
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दोनों ही सरकारों में जॉब की स्थिति समझने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कि
हम किन जॉब्स की बात कर रहे हैं, सरकारी जॉब्स या प्राइवेट जॉब्स
क्या युवा जॉब करने के इच्छुक है या स्टार्ट अप शुरु करना चाहते हैं?
क्या युवाओं के पास अच्छे जॉब्स के लिए जरूरी स्किल्स हैं?
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सरकारी जॉब्स Vs. प्राइवेट जॉब्स
सबसे पहली बात, जब बात नौकरी की आती है तो हर युवा सरकारी नौकरी को ही प्राथमिकता देता है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण भविष्य की सुरक्षा तथा अच्छा सैलेरी पैकेज है। यही कारण है कि अगर सफाई कर्मचारी की भी वैकेंसी निकलती है तो उसमें इंजीनियर और एमबीए पास युवा भी अप्लाई करते हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में रेलवे में लगभग 90,000 पदों पर भर्ती निकली थी जिसके लिए लगभग ढाई करोड़ युवाओं ने अप्लाई किया था अर्थात् एक पर के लिए लगभग 277 एप्लीकेशन्स। सरकारी नौकरियों के हिसाब से दोनों ही सरकारें युवाओं की आशा पूरी नहीं कर पाई।
जॉब्स Vs. स्टार्टअप्स
मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कैम्पेन तथा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के बाद भारतीय युवाओं में स्टार्टअप की प्रवृत्ति बढ़ी है जो एक अच्छे भविष्य का संकेत है क्योंकि प्रत्येक स्टार्ट अप कई युवाओं को रोजगार दे रहा है। हालांकि इनमें से अधिकतर स्टार्ट अप कामयाब होने में लंबा समय ले रहे हैं फिर भी वे किसी न किसी तरह युवाओं को नौकरी के मोह से दूर कर अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की प्रेरणा दे रहे हैं।
अच्छे जॉब्स के लिए जरूरी स्किल्स
अगर वास्तविक स्थिति को देखा जाए तो तकनीकी आधुनिकीकरण के चलते पारंपरिक जॉब्स खत्म होती जा रही है परन्तु उनकी जगह लेने के लिए नई जॉब्स पैदा हो रही है, उदाहरण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स। एक अनुमान के अनुसार इन सेक्टर्स में इस समय अकेले भारत में 5 लाख से अधिक नौकरियां रिक्त है परन्तु कुशल युवाओं की कमी के चलते उन पदों को भरा नहीं जा सकता। नौकरी घटने का एक कारण यह भी है कि जिन युवाओं के पास हायर एजुकेशन तथा स्किल्स हैं, वे अमरीका या यूरोप जैसे देशों में सैटल हो रहे हैं और जिनमें ये स्किल्स नहीं है, वे देश में ही रह कर जॉब ढूंढ रहे हैं।
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