भारत में सरकार के सामने लोगों की बढ़ती बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है और इससे निपटना उससे भी बड़ी चुनौती है। लेकिन सरकार की ओर से पेश किए गए कुछ आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। शुक्रवार को सरकार की ओर से जारी किए पेरोल डाटा के अनुसार पिछले वर्ष सितंबर से लेकर इस साल जून तक 10 माह में देशभर में करीब 60 लाख लोगों ने नौकरी ही छोड़ दी। हालांकि इस दौरान लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार या नौकरियां मिली भी हैं लेकिन नौकरी छोड़ने का इस ट्रेंड को सरकार को गंभीरता से लेना होगा।
नौकरी छोड़ने वालों में 45 लाख लोग 35 साल से कम उम्र के
सर्वे में सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह सामने आई कि इन 60 लाख लोगों में से करीब 45 लाख लोग तो 35 साल से कम उम्र के थे। बता दें अप्रैल में पहली बार पेरोल डाटा रिलीज की गई थी, उसके बाद से यह पहली बार हुआ है कि ईपीएफओ के आंकड़ों के हिसाब से लोग औपचारिक नौकरी छोड़ रहे हैं।
60 लाख कर्मचारियों ने ईपीएफओं में योगदान बंद किया
हालांकि दूसरी तरफ सरकार ने यह भी जानकारी दी कि सितंबर 2017 से जून 2018 के बीच एक करोड़ 7 लाख कर्मचारियों ने ईपीएफओ ज्वाइन किया था जिसमें 60 लाख 4 हजार कर्मचारियों ने ईपीएफओ में योगदान करना बंद कर दिया। बता दें सरकार ने हाल में औपचारिक नौकरी के ट्रेंड को आंकने के लिए ईपीएफओ के आंकड़े को बड़ा पैमाना माना है। लेकिन अपनी इस रिपोर्ट में सरकार ने इस बात कोई हवाला नहीं दिया कि इतनी बड़ी संख्या कर्मचारी ईपीएफओ से क्यों नाता तोड़ रहे हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि भारत में नौकरी की स्थिति की सटीक जानकारी हासिल करने की कोई स्पष्ट प्रणाली नहीं है। ईपीएफओ डाटा एक पैमाना मात्र है। ईपीएफओ में अंशदान करने को लेकर कई तरह की परेशानी सामने आती है जैसे कई बार कॉन्ट्रैक्चुअल जॉब का होना, ऑटोमेशन, सैलरी में असमानता आदि।
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