हर इंसान चाहता है कि वह जो भी काम करे, उसमें सफलता मिले। लेकिन हर बार ऐसा संभव नहीं होता है। वर्कप्लेस पर कई बार न चाहते हुए भी चीजें गलत होने लगती हैं। ऐसे में आपको अपने इमोशन्स और समस्याओं को सही तरह से टैकल करना चाहिए।
वर्कप्लेस पर हमेशा अच्छा समय चलता रहे, यह जरूरी नहीं है। अगर आप वर्किंग प्रोफेशनल हैं तो कई बार आपको मुश्किल समय का सामना करना पड़ता है। क्या आप बुरे समय में तनाव महसूस करते हैं? समस्या से लडऩे के दो तरीके हो सकते हैं- इमोशन फोकस्ड और प्रॉब्लम फोकस्ड। जानते हैं कि आप किस तरह दोनों को इस्तेमाल कर सकते हैं-
कम्फर्ट रूटीन
इमोशनल कोपिंग का अर्थ है कि नेगेटिव इमोशन्स और तनाव को नियंत्रण में रखें। दैनिक रूटीन फॉलो करते रहें। इसके कई फायदे हैं। जैसे ही आप अपना दैनिक रूटीन समय पर पूरा करते हैं जैसे खाने, सोने, व्यायाम निश्चित समय पर करते हैं तो आप अपनी लाइफ के कम्फर्ट जोन को कंट्रोल करते हैं और हर रोज स्टे्रस से रिकवर होते हैं।
क्या आप गंभीर हैं?
अगर आप गुस्सा या डिप्रेस्ड हैं तो बुरे दिनों को निजी विफलताओं के रूप में लेने लगते हैं। अपनी भावनाओं पर लेबल लगाएं। क्या आप गुस्सा हैं, तनावग्रस्त हैं, डिप्रेस्ड हैं या बेइज्जती महसूस कर रहे हैं? अपने फिजिकल रिएक्शन्स को गौर से देखें। खुद को ढीला छोड़ दें और गहरी सांसें लें। भावनाएं कम होंगी और समस्या सुलझने लगेंगी।
क्रिएटिव सॉल्यूशन्स
आपको जानना होगा कि चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो, हर समस्या का समाधान मौजूद होता है। इस बात को समझें कि अलग-अलग नजरिये से मल्टीपल सॉल्यूशन्स खोज सकते हैं। समस्या को देखते हुए उसकी अलग-अलग फ्रेमिंग तैयार करने की कोशिश करें। अन्य लोगों के नजरिये से समस्या को समझें। पता करें कि इसका तीन महीने या 10 साल बाद क्या महत्व रह जाएगा। कल्पना करें कि एक हीरो के रूप में आप इसका मुकाबला किस तरह से करेंगे। फेलियर का इस्तेमाल क्रिएटिव बनने के लिए करें। क्रिएटिविटी पैदा करने के लिए अलग तरह से काम करने की कोशिश करें। समय-समय पर अपने दोस्तों से मिलें, अपने ऑफिस को साफ करें, किसी के मेंटर बनें या म्यूजिक प्ले करें।
सकारात्मक लोग
अगर सकारात्मक लोगों से घिरे रहते हैं तो मुश्किल दौर से बाहर निकलना आसान हो जाता है। यदि आपको भरोसा है कि कोई आपका साथ देने वाला है तो आप प्रेरित रहते हैं। बॉस के बारे में बड़बड़ाने के बजाय कलीग्स और परिवार के सदस्यों के साथ समय गुजारें। पूरे उत्साह के साथ बातचीत करने और दूसरों में रुचि लेने से किसी को नुकसान नहीं पहुंचता है।
खुद को बदलें
अगर आप एक्शन ले चुके हैं तो फिर इसके भविष्य या बीते समय के बारे में विचार करना बंद कर दें। बाधाओं को पहचान लिया है तो जरूरी बदलाव करना शुरू कर दें। प्रक्रियाओं में, प्रयासों में, संवाद में और अपनी अप्रोच में बदलाव करना चाहिए। ध्यान रखें कि बदलाव के लिए कोशिश करनी पड़ती है, पर यह विफलता के दर्द से बेहतर होती है।
मुद्दे को पहचानें
अगर वर्कप्लेस पर कोई समस्या आती है तो उसे सुलझाने के लिए सबसे पहले उसका कारण पता करना चाहिए। कारण पता होने पर उसका समाधान शीघ्र मिल सकता है। आपको जजमेंट मोड से बाहर रहना चाहिए, ताकि समस्या के लिए किसी को या खुद को दोष देना बंद कर दें। यह बात जान लें कि ज्यादातर सफल लोग बेहद आशावादी होते हैं। अगर आप किसी स्थिति में नेगेटिव चीजें पाते हैं तो कारण खोजने में ईमानदारी बरतें।
संदर्भ याद रखें
खुद को बड़ी पिक्चर और संदर्भ की याद दिलाएं। खुद से सवाल करें कि आप अपने जीवन और कॅरियर में यहां क्यों हैं? बड़ी सकारात्मक बातें क्या हैं? अपनी लाइफ की एक सूची बनाएं, जिसमें आपका काम और सफलताएं हों। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि बुरा समय आपको परिभाषित नहीं करता है। आपका एटीट्यूड मायने रखता है। कंपनी के नजरिये से विचार करें। आप बिजनेस में क्या वैल्यू लाने की कोशिश करते हैं?
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