उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पुलिस महानिदेशक सहित राज्य सरकार से पुलिस भर्ती के समय कोई मनोवैज्ञानिक टेस्ट एवं प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था के संबंध में 23 अक्टूबर तक जबाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति डी के अरोड़ा एवं न्यायमूर्ति राजन रॉय की खण्डपीठ ने याची लोकेश कुमार खुराना द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिए हैं।
विवेक तिवारी हत्याकांड के बाद उठी मनोवैज्ञानिक परीक्षण करवाने की मांग
न्यायालय ने अभी हाल में हुए विवेक तिवारी हत्याकांड के बावत जानना चाहा है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में अथवा समय समय पर दिए जाने वाले प्रशिक्षण में मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया जाता हैं अथवा नहीं राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही व स्थाई अधिवक्ता क्यू एच रिजवी ने बताया कि राज्य सरकार पुलिस भर्ती से लेकर आम लोगों की सुरक्षा सहित अनेक पहलुओ पर स्वय में गम्भीर निर्णय ले रही हैं।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई हैं कि आमजनता की सुरक्षा को गौर करते हुए सरकार ऐसे कदम उठाए जिससे लोगो को सुरक्षा एवं शांति मिल सके। हाल ही में हुए विवेक तिवारी जैसी घटनाओं की पुनरावृति न हो। हलांकि सुनवाई के समय अदालत ने याची से भी कहा कि वह याचिका को संशोधित करे।
अपर महाधिवक्ता वी के शाही ने बताया कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार से उच्च न्यायालय ने जानकारी तलब की है कि 23 अक्टूबर को बताए कि पुलिस भर्ती में मनोवैज्ञानिक शिक्षा व प्रशिक्षण की व्यवस्था है कि नही तथा पुलिस प्रशिक्षण की क्या प्रकिया है इससे भी अदालत को अवगत कराएं।
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