भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति को लेकर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में टकराव बढ़ गया है। इस मामले में आरएएस अधिकारी महेन्द्र पारख पहले भी खुलकर विरोध जता चुके हैं, अब उन सहित २३ आरएएस अधिकारियों ने केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। न्यायाधिकरण ने इस मामले में मंगलवार को सुनवाई की और मुख्य सचिव व कार्मिक विभाग को जवाब के लिए २ सप्ताह का समय दिया।
आरएएस अधिकारियों की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने न्यायाधिकरण को बताया कि गैर प्रशासनिक सेवा से आइएएस में चयन केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है, पर सरकार राजनीतिक कारणों से इस पदोन्नति के जरिए चहेतों का चयन करवा लेती है। अधिकांश राज्यों में गैर प्रशासनिक सेवा से आइएएस चयन पर रोक है।
२९ साल की सेवा व उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड वाले आरएएस उपलब्ध हैं, इसके बावजूद सरकार ने अन्य सेवा के अधिकारियों के लिए सेवाकाल १७ साल कर दिया है। आचार संहिता के बावजूद आनन फानन पदोन्नति बोर्ड की बैठक की तैयारी की जा रही है, इसके लिए निर्वाचन आयोग की सहमति भी नहीं ली गई है।
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