success story : उच्च शिक्षा और प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पहुंचना हर एक युवा की पसंद होती है। लेकिन मेहनत के दम पर ही जूनून के साथ ये मुकाम हासिल किया जा सकता है। आज हम बात कर रहे हैं गौरव अग्रवाल की जो वर्तमान में जोधपुर विकास प्राधिकरण में आयुक्त हैं। ये बचपन से ही पढ़ने में बेहद होशियार थे। उच्च शिक्षा के लिए इन्हे आईआईटी कानपूर को चुना। देशभर में 45वीं रैंक हासिल करने के बाद गौरव अग्रवाल को आईआईटी कानपुर में दाखिला मिला। गौरव ने दाखिले के बाद स्वयं के अंदर ईगो को जगह दे दी। इसी ओवर कॉन्फिडेंस के चलते पढ़ाई से दूरी बनने लगी। सेमेस्टर परिसा में गौरव अग्रवाल फेल होने लगे। देश का टॉपर स्टूडेंट ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार होने लगा। जिसे वे खुद विनाश काले विपरीत बुद्धि की संज्ञा देते हैं। जो IIT डिग्री चार साल में पूरी होना थी गौरव उसमें पिछड़ गए। उन्हें पेपर बैक होने की वजह से डिग्री हासिल करने में ज्यादा वक्त लगा। इसके बाद उनके पास कोई जॉब नहीं था। आईआईएम में प्रवेश के लिए गौरव जहां भी गए, उनका पुराना रिकॉर्ड देखकर उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। आखिर किस्मत ने थोड़ा साथ दिया। उन्होंने अपना स्नातक , प्रबंधन डिप्लोमा लखनऊ के आईआईएम ( IIM ) से पूरा कर लिया। बाद में वह हांगकांग में सिटी ग्रुप में एक निवेश बैंकर के रूप में कम करने लगे , वहां उन्होंने 4 साल तक काम किया। लेकिन उनका IAS बनने का जूनून उन्हें देश लौटने को मजबूर कर रहा था। आखिरकार मोटी तनख्वाह मिलने के बावजूद भी वे अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वापस भारत आ गए।
Motivational Story
नौकरी के अंतिम दौर में पढ़ाई कर उन्होंने खुद को परख लिया था कि वे प्रतियोगी परीक्षा को पास कर सकते है। मैनेजमेंट की नौकरी कर वे आम लोगों से दूर हो गए। गौरव को लगा कि वे आम लोगों की मदद के लिए कुछ खास नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उन्होंने आईएएस बनने का फैसला लिया। पहले ही प्रयास में गौरव आईपीएस में सिलेक्ट हो गए। उसके बाद वे हैदराबाद में ट्रेनिंग के लिए चले गए। हालांकि आईपीएस की नौकरी से भी वे संतुष्ट नहीं थे। इसलिए दूसरी बार फिर उन्होंने कोशिश की। और दूसरी बार न केवल उन्होंने टॉप किया बल्कि चार सालों से चले आ रहे लड़कियों के रूतबे को भी खत्म किया। गुरव अग्रवाल ने टॉप करने के साथ ही अपने सपनों को भी साकार कर लिया था।
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