Jobs: कंपनियां कामगारों से उनकी सहमति के बिना तय समय से अधिक काम (ओवर टाइम) नहीं करा पाएंगी। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल स्थिति संहिता विधेयक के मुताबिक ओवर टाइम के लिए कर्मचारी की लिखित सहमति जरूरी कर दी गई है। इसके अलावा ओवर टाइम के लिए कामगारों को दोगुना वेतन भी देना होगा। हालांकि लोकसभा में पेश विधेयक से सरकार ने ओवर टाइम की समय सीमा तय करने का प्रावधान को हटा दिया है।
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विधेयक के मुताबिक केन्द्र या राज्य सरकार अधिसूचना के जरिए ओवर टाइम की अवधि निर्धारित कर सकेगी। पिछले वर्ष सार्वजनिक किए गए विधेयक के मसौदे में ओवर टाइम सहित दिन में कार्य की अवधि 10 घंटे से अधिक नहीं होने और एक तिमाही में 100 घंटे से अधिक काम करने की अनुमति न होने की बात भी कही गई थी, लेकिन लोक सभा में पेश विधेयक के इन प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया है।
व्यावहारिकता को लेकर है संदेह
विशेषज्ञों का कहना है कि ओवर टाइम के लिए कामगार से लिखित सहमति लेना एक अच्छा कदम है, लेकिन जमीनी हकीकतों को देखते हुए कामगारों के अधिकारों को लागू करवाना मुश्किल है। ओवर टाइम करने की इच्छा न होने पर कामगार लिखित सहमति देने से इनकार कर पाएंगे, व्यवहार में यह मुश्किल लगता है।
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