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IT और Construction सेक्टर में हैं सबसे कम नौकरियां, Finance में बढ़ी नौकरियां

धीमी आर्थिक रिकवरी से कंपनियों में नई भर्तियां बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। सबसे बुरी स्थिति निर्माण (कंस्ट्रक्शन) और सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र में है। 2017-18 में भर्तियों की वृद्धि की दर चार साल में सबसे कम रही है। कैपिटालाइन के सर्वे और कंपनियों की वार्षिक सालाना रिपोर्टों के मुताबिक 2017-18 में देश की शीर्ष कंपनियों के कर्मचारियों की संख्या में महज 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि 2016-17 में यह दर 3.5 फीसदी थी और 2015-16 में 4.6 फीसदी थी।

बीएसई-200 प्लेटफार्म पर सूचीबद्ध 171 कंपनियों में 2017- 18 में महज 64 हजार नियुक्तियां हुईं। वित्त वर्ष 2013-14 रोजगार के मामले में बेहतरीन था और उस वित्त वर्ष करीब 1.83 लाख कर्मचारी जुड़े थे जो 2012-13 की तुलना में 6.2 फीसदी अधिक था। विशेषज्ञों का मानना है कि कंस्ट्रक्शन और आइटी जैसे सेक्टरों के कारोबार की वृद्धि दर में सुस्ती से इनमें भर्ती की प्रक्रिया भी धीमी पड़ी है। हालिया वर्षो में निर्माण क्षेत्र में रोगजार सृजन की दर सबसे अधिक थी, तो आइटी क्षेत्र में ऊंचे वेतन वाली नौकरियों की तादाद सबसे ज्यादा थी।

किन कंपनियों को शामिल किया गया
ये आंकड़े कैपिटालाइन और बीएसई 200 की सूची में शामिल उन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर तैयार किए गए हैं जिनके छह वर्षों के ब्योरे उपलब्ध हैं। इसके अलावा इनमें स्थायी कर्मचारियों को ही शामिल किया गया है क्योंकि कंपनियां अपनी रिपोर्ट में अनुबंधित और ठेकेदार के तहत कर्मचारियों के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध कराती हैं।

वित्तीय सेवा क्षेत्र में बढ़े हैं अवसर
रोजगार सृजन में वित्तीय सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा है। 2017-18 में कुल नए रोजगार में तीन-चौथाई अकेले वित्तीय सेवा क्षेत्र से रहे जबकि आइटी क्षेत्र में सिर्फ 10 फीसदी ही नई भर्तियां हुईं। इसके पहले नए रोजगार में 60 फीसदी आइटी क्षेत्र से होते थे। वित्त वर्ष 2017-18 में वित्तीय सेवा क्षेत्र में कुल रोजगार वर्ष 2016-17 की तुलना में 5.36 फीसदी बढक़र 9.22 लाख रहा।

किस साल मिला कितना रोजगार
वित्त वर्ष – नए रोजगार (हजार) – बढ़ोतरी
2013-14 – 183.7 – 6.2%
2014-15 – 22.4 – 0.7%
2015-16 – 146.8 – 4.6%
2016-17 – 116.4 – 3.5%
2017-18 – 64.4 – 1.9%
स्रोत: कैपिटालाइन और कंपनियों की वार्षिक सालाना रिपोर्ट



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