हर शख्स अपनी नौकरी से खुश नहीं होता है। कुछ लोगों को लगता है कि उनकी नौकरी से किसी को कोई फायदा नहीं है और वे समाज के लिए कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। अपनी नौकरी के बारे में ऐसी नकारात्मक धारणा रखने वालों में सबसे आगे भारतीय हैं।
एक शोध के मुताबिक करीब 12 फीसदी भारतीय यह सोचते हैं कि उनकी नौकरी सिर्फ समय की बर्बादी है जबकि दुनिया का औसत 8 फीसदी है। इसके अलावा 17 फीसदी लोगों को अपनी नौकरी की सामाजिक उपयोगिता के बारे में संदेह है।
‘मेहनती’ जापानी भी खुश नहीं
मेहनती लोगों का देश समझा जाने वाला देश जापान भी इस सूची में शामिल है। नौकरी से असंतुष्ट लोगों में सबसे अधिक भारत से हैं। भारत के बाद पोलैंड, जापान और इजराइल के लोगों को लगता है कि उनकी नौकरी किसी लायक नहीं है। असंतुष्ट लोगों में ज्यादातर का जवाब यही रहा कि उनकी नौकरी समाज के लिए बेकार है।
50 फीसदी लोग अवसरों की कमी से कर रहे हैं दूसरा काम
भारतीय संदर्भ में बात करें तो अपने पेशे से असंतुष्ट लोगों में अधिकतर निजी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उन्हें लगता है कि शिक्षक, स्वास्थ्य कर्मचारी और पुलिस अधिकारी समाज को अधिक योगदान देते हैं। फाइनेंस, सेल्स, मार्केटिंग और पब्लिक रिलेशंस जैसे निजी क्षेत्र में कार्यरत करीब 11 फीसदी लोग अपनी नौकरी से खुश नहीं हैं। शोध में यह भी सामने आया है कि 50 फीसदी लोग समाज की बेहतरी के लिए काम करना चाहते हैं लेकिन उन्हें अवसरों की कमी के कारण दूसरे क्षेत्र में काम करना पड़ रहा है।
पद से ज्यादा कर्मचारियों की संख्या
शोध में यह भी खुलासा हुआ है कि कुछ कंपनियां एक साथ कई लोगों को काम पर रख लेती है जबकि उन्हें कम लोगों की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें खाली बैठना पड़ता है जिससे पेशे के प्रति नाखुशी बढ़ती है। ये आंकड़े इस प्रकार हैं-
- 47 देशों के करीब एक लाख लोगों पर किया गया शोध
- 12% सोचते हैं नौकरी समय की बर्बादी
- 17% लोगों को नौकरी की सामाजिक उपयोगिता के बारे में संदेह
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