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आने वाले वक्त में जिंदगी बदल देंगे ये टॉप ट्रेंड्स, इनमें कॅरियर बनाने से होंगे मालामाल

रिसर्च फर्म गार्टनर ने हाल ही में टेक्नोलॉजी में होने वाले टॉप 10 प्रिडिक्शन्स की सूची जारी की है। कंपनी के मैनेजिंग वाइस-प्रेसीडेंट और चीफ ऑफ रिसर्च डेरिल प्लमर ने कहा कि व्यावहारिकता में अस्थिरता हो सकती है। दुनिया में हो रहे बदलावों को समझ पाना आसान नहीं है, पर यह लिस्ट इंडस्ट्री के ट्रेंड्स बताती है। वैसे गार्टनर की एक्यूरेसी रेट 85 फीसदी रही है। जानते हैं इस लिस्ट के बारे में-

ऑगमेंटेड इंटेजीलेंस और एनालिटिक्स
(1) वर्ष 2020 तक एआई प्रोजेक्ट्स का 80 फीसदी हिस्सा करामात ही माना जाएगा। संस्थान में इन प्रोजेक्ट्स को चलाने वाले टैलेंट्स को जादूगर की श्रेणी में भी रखा जा सकेगा। इसलिए जरूरी है कि एआई स्किल्स का रोडमैप तैयार किया जाए। एआई स्किल्स को सभी में समान में वितरित किया जाना जरूरी है। ऑटोमेशन के माध्यम से भी सब तक एआई स्किल्स पहुंचाई जा सकती है। एआई स्किल्स से दुनिया में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
(2) वर्ष 2023 तक एआई पावर्ड फेशियल रिकॉग्निेशन टेक्नीक्स की मदद से मेच्योर मार्केट्स में खोए हुए लोगों की संख्या में 80 फीसदी तक की कमी आ जाएगी। फेशियल रिकॉग्निेशन टेक्नीक में लगातार सुधार होगा। यह सब बढ़ते हुए कलेक्शन प्वॉइंट्स और सैंपल की संख्या में इजाफा से संभव हो पाएगा। यह एआई का दुनिया के लिए अनोखा तोहफा होगा।
(3) वर्ष 2023 तक इमरजेंसी हेल्थकेयर सर्विसेज तक लोगों की विजिट्स में काफी कमी दर्ज की जाएगी। यह सब इसलिए संभव हो पाएगा, क्योंकि एआई इनहान्स्ड वर्चुअल केयर में लगातार बीमार रहने वाले मरीजों का एनरोलमेंट हो सकेगा। डिवाइसेज और एप पर आधारित वर्चुअल केयर इंटीग्रेटेड हेल्थकेयर सिस्टम्स का पार्ट होगी।

कल्चर और प्राइवेसी
(4) वर्ष 2023 तक 25 प्रतिशत संस्थान अपने एम्प्लॉइज से साइबरबुलिंग रोकने के लिए अनिवार्य रूप से शपथ पत्र लेंगे। हालांकि 75 फीसदी एम्प्लॉइज साइबरबुलिंग के आइडिया को नकारने की कोशिश करेंगे। इसलिए संस्थानों को सबसे पहले साइबरबुलिंग के बारे में उचित जानकारी मुहैया करवानी होगी, ताकि इसे पहचाना जा सके। संस्थान सुनिश्चित करेंगे कि कंपनी के लीडर्स सम्मानजनकर व्यवहार का मॉडल पेश करें ताकि सभी एम्प्लॉइज के बीच में अच्छा संदेश जाए।
(5) वर्ष 2022 तक 75 फीसदी संस्थान अपनी निर्णय लेने वाली टीम्स के साथ वित्तीय लक्ष्यों को बढ़ाएगी। इसके लिए टीम्स में सांस्कृतिक विविधता भी देखने को मिलेगी। जब टीम लीडर सबको शामिल करते हुए व्यवहार करेगा तो लोग ज्यादा महसूस करेंगे, वे कामों में ज्यादा सहभागी बनेंगे और पूरी आजादी के साथ अपने विचारों को व्यक्त कर पाएंगे।
(6) वर्ष 2021 तक 75 फीसदी पब्लिक ब्लॉकचेन्स प्राइवेसी पोइजनिंग से परेशान हो जाएंगे। इसमें पर्सनल डाटा इन्सर्ट होने से निजता कानूनों की मदद से ब्लॉकचेन शिकायतें नहीं हो पाएंगी। अगर इस समस्या को समय रहते हल नहीं किया गया तो प्राइवेसी ब्लॉकचेन की कमजोर कड़ी बनकर रह जाएगी। इस पर ध्यान देना पड़ेगा।
(7) वर्ष 2023 तक ई-प्राइवेसी लेजीलेशन कुकीज के इस्तेमाल को न्यूनतम करके ऑनलाइन लागतों में इजाफा करेगा। इससे मौजूदा इंटरनेट विज्ञापन रेवन्यू बाजार की स्थिति खराब हो सकती है। इससे वेंडर्स को टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट पेश करने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इससे विज्ञापन की दुनिया में बदलाव आएगा। तब ग्राहक अपनी निजी जानकारियां मुफ्त में किसी को सौंप नहीं पाएंगे।

प्रोडक्ट्स और मार्केट्स
(8) वर्ष 2022 तक डिजिटल दुनिया की तेज गति के कारण कंपनी की आंतरिक दक्षताएं बाहरी रेवन्यू जनरेटिंग प्रोडक्ट्स में बदल जाएंगी। इसको क्लाउड इकोनॉमी और फ्लेक्सिबिलिटी से मदद मिलेगी। इन-हाउस चल रही अच्छी प्रोसेस प्रोडक्ट्स में तब्दील हो सकेंगी, इन्हें किसी को भी बेचा जा सकेगा। इससे कंपनियों को फायदा भी होगा।
(9) वर्ष 2022 तक कंपनियां डिजिटल दिग्गजों की गेटकीपर पोजीशन का लाभ उठाते हए अपनी इंडस्ट्री में लगभग 40 फीसदी ग्लोबल मार्केट शेयर पर कब्जा कर लेंगी। डिजिटल इकोसिस्टम्स का और अधिक विस्तार होगा और डिजिटल दिग्गज बी टू बी में प्रवेश करेंगे। इससे डिजिटल वल्र्ड को एक नई राह मिलेगी। ज्यादा से ज्यादा लोग डिजिटल दुनिया को अपनाने की कोशिश करेंगे।
(10) वर्ष 2021 तक सोशल मीडिया कांड और सिक्योरिटी उल्लंघन ग्राहकों पर स्थायी प्रभाव नहीं डाल पाएंगे। हालांकि कई कंपनियों पर सिक्योरिटी उल्लंघन होने पर यूजेज या उनकी कीमतों पर शॉर्ट टर्म प्रभाव ही रहेगा। ये प्रभाव मुश्किल से टिक पाएंगे। इन सबके बीच बिजनेस करने का सही नजरिया ही आपको बाजार में बनाए रख पाएगा। बिजनेस में नैतिकता का मूल्य बढ़ेगा।



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