अब हर कंपनी में युवाओं की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में मैनेजमेंट की कोशिश रहती है कि युवाओं को आगे बढऩे के अच्छे अवसर मिलें। युवाओं को पुरानी पीढ़ी के एम्प्लॉइज के साथ तालमेल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। जानते हैं इसके कुछ खास तरीकों के बारे में।
आवाज सुनें
वर्कप्लेस पर सफलता हासिल करने के लिए युवा एम्प्लॉइज को सीनियर्स की बात को ध्यान से सुनना चाहिए और उनके अनुभव का लाभ लेने का प्रयास करना चाहिए। आप चाहे किसी काम को बेहतर तरीके से पूरा कर सकते हों, पर सीनियर्स से राय करने पर आप उसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
मेंटरिंग और कोचिंग
सीनियर्स काम की बारीकियां तो सिखा ही सकते हैं, पर इसके साथ-साथ आप उनसे कंपनी का कल्चर, इसकी पॉलिटिक्स और प्रोटोकॉल्स भी सीख सकते हैं। युवा सीनियर्स से लीडरशिप क्वॉलिटीज सीखते हैं तो उन्हें फायदा हो सकता है।
समान रुचियां खोजें
संवाद के माध्यम से शुरुआत करें। उन विषयों पर बात करें, जिन्हें लेकर सीनियर्स सहज हों। कभी भी जनरेशन गैप के कारण संवाद में गैप न आने दें। साथ में काम करते समय समान रुचियों पर चर्चा करें और एक-दूसरे को प्रोत्साहित करें। इससे बॉण्डिंग मजबूत होगी।
तथ्यों की मदद लें
किसी भी व्यक्ति की उम्र के आधार पर उसके बारे में कोई सोच न बनाएं। ज्यादातर युवा सीनियर्स के बारे में सोचते हैं कि वे उन्हें सीरियस नहीं लेते हैं। सीनियर्स के साथ काम करते समय अपने तथ्यों को दुरुस्त कर लेना चाहिए और विवादों से बचने के लिए चीजों पर स्पेसिफिक बात करनी चाहिए। इससे मैसेज जाएगा कि आपके पास नॉलेज है। इससे वर्कप्लेस पर संंवादहीनता भी खत्म होगी।
उनका नजरिया प्राप्त करें
युवाओं को सीनियर वर्कर्स की समझदारी और सलाह को गौर से सुनना चाहिए और काम में लेना चाहिए। कभी भी यह न सोचें कि किसी सीनियर से कोई सलाह लेना आपकी
अनुभवहीनता, कमजोरी या फेलियर का प्रतीक है। यह आपकी अवेयरनेस को प्रदर्शित करता है। आप जितना ज्यादा सीनियर्स से राय लेंगे, आपके काम में उतना ही निखार आता जाएगा।
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