सरकार अगर राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन की गणना निर्धारित करने के लिए गठित समिति के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले तो असंगठित क्षेत्र (अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर) में काम कर रहे लाखों श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दोगुनी से अधिक हो सकती है। इस फार्मूले से 176 रुपए प्रतिदिन की मौजूदा मजदूरी बढक़र 375 रुपए प्रति दिन या प्रति माह 9,750 रुपए हो जाएगी।
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वर्तमान में न्यूनतम वेतन फार्मूले के अनुसार, प्रत्येक मजदूरी करने वाला औसतन तीन व्यक्तियों का खर्च उठाता है। कपड़ों, दवाओं, परिवहन जैसे आवश्यक गैर-खाद्य पदार्थों को छोडक़र एक ‘उपभोग इकाई’ को प्रति दिन कम से कम 2,700 कैलोरी की आवश्यकता होती है। इस नए फार्मूले के अनुसार, प्रति घर ‘उपभोग इकाइयों’ की संख्या बढक़र 3.6 हो गई है।
महीनेवार खर्च का हिसाब-किताब
घर का किराया - 5,000
स्कूल फीस - 1,000
किराना सामान - 2,400
दूध - 600
अंडे - 240
सब्जियां - 600
फल - 400
यात्रा - 300
अन्य खर्च - 500
कुल खर्च - 9,240
पूरी हो सकेंगी रोजमर्रा की जरूरतें
अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी से अधिक भारतीय श्रमिक अनौपचारिक नौकरियों में कार्यरत हैं। ये शर्मिक सभ्य मजदूरी और काम करने की स्थिति के बारे में बातचीत करने में असमर्थ हैं। इनके पास अक्सर को सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं होता है। रिपोर्ट में नया फॉर्मूला श्रमिकों और उनके परिवारों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।
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